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नारी की असली सुन्दरता

*नारी की असली सुन्दरता*

जिस्म और शक्ल से, हमें खूबसूरत नजर आती
लेकिन सिर्फ इसीलिए, वो औरत नहीं कहलाती

प्यार करना भी आता, तो निभाना उसको आता
उसका सुन्दर स्वभाव ही, बेहतर उसको बनाता

ठुकरा दो उसे प्यार में, तो न फेंकेगी वो तेजाब
कभी न लगाती वो, अपनी पीड़ाओं का हिसाब

मरने पर मजबूर कभी, वो जरूर कर दी जाती
लेकिन उसके कारण, मर्दों की जान नहीं जाती

कम दहेज के कारण, उसको मरना पड़ जाता
किंतु उसके कारण, कोई मर्द फांसी न लगाता

बेटी जन्मकर वही सुनती, अपनी सास के ताने
क्या गुजरती उसके दिल पर, कोई भी न जाने

मर्दों पर अभद्र टिप्पणी, करना उसको न आता
इनसे डरकर कोई भी, रास्ता बदलकर न जाता

पति के आने में देरी, इनको चिन्तित कर जाती
संदेह की कोई भी बात, इनकी बुद्धि में न आती

छोटी छोटी बातों पर ये, कभी हाथ नहीं उठाती
हर बात वो प्यार से, जीवन साथी को समझाती

हजारों तकलीफें सहकर भी, रिश्ते निभा जाती
जीवन से हारकर भी, दिल सबका जीत जाती

हर रिश्ते में जीकर वो, चाहती उसको निभाना
खूब प्यार देकर चाहती, जरा सा सम्मान पाना

हर परिस्थिति में अपने, हमसफर की हमकदम
खुद से अधिक औरों का, ख्याल करती हरदम

नारी का असली सौन्दर्य, तुम देख तभी पाओगे
अपने मन की दृष्टि, जब साफ स्वच्छ बनाओगे

*ॐ शांति*

*मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान*
*मोबाइल नम्बर 9460641092*

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4 Comments

Swati chourasia

09-Jan-2023 02:44 PM

बहुत ही बेहतरीन रचना 👌

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Sachin dev

24-Dec-2022 06:44 PM

Well done

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